श्रेष्ठ समाधान चमत्कारिक परिणाम
पत्रिका नहीं है तो निराश क्यों -
हम आपके साथ हैं

अत: जन्म एवं तारीख न भी हो तो जानिए
विशिष्ट विधि से अपना भविष्य
कीजिये अपनों सपनो को साकार

श्रेष्ठतम मुहूर्त में सिद्ध किये हुए -
  • १ सोभाग्यवर्धक कवच
  • २ वैभव तिलक
  • ३ अमृत वैभव कलश
  • ४ संपूर्ण लक्ष्य प्राप्ति यन्त्र
  • ५ अचूक विवाह यन्त्र
हमारी प्रमुख वास्तु सेवाएं -
  • १. ज्योतिष सम्मत वास्तु नक़्शे
  • २. भूमि पूजन से ग्रह प्रवेश तक
  • ३. निर्माण से पहले एवं निर्माण के बाद भी
  • ४. बिना तोड़ फोड़ के वास्तुकल्प

Dr. Pradeep Pandya

विगत २५ वर्षो से अनवरत मानव मात्र के लक्ष्य प्राप्ति में माध्यम बने है | अनेक मंत्री ,सांसद, विधायक , अधिकारी, उद्योगपति, अभिनेता, अभिनेत्रिया हमसे निवारण के लिए परामर्श लेते है |

हम उचित रत्न, यन्त्र वाम मंत्र चिकित्सा द्वारा किसी भी समस्या का समाधान करते है| आपकी समस्या कोई भी हो चाहे संतान नहीं हो, विवाह बाधा हो, ग्रह क्लेश हो, व्यापार में नुकसान हो नोकरी नहीं हो, कर्ज की समस्या हो, ग्रह में वास्तु दोष हो, दांपत्य सुख नहीं हो, असाध्य रोग हो अथवा वक्तिगत अन्य परेशानी हो सभी प्रकार का समाधान राजज्योतिषी रिसर्च सेंटर पर उपलब्ध है |

राजज्योतिषी रिसर्च सेंटर के निदेशक भगवती उपासक डॉ. प्रदीप पंड्या अन्तराष्ट्रीय स्तर पर ज्योतिष क्षेत्र में योगदान के लिए रत्नदीप, ज्योतिष मार्तण्ड, ज्योतिष भास्कर आदि उपाधियो सहित २४ स्वर्ण पदको से सम्मानित हो चुके है |

आपका कथन है की उस चिकित्सा शास्त्र के ज्ञान से क्या लाभ जो हमें रोग की जानकारी तो देता है परन्तु उसका निदान नहीं देता है | समाधान के बिना कोई भी शास्त्र अधुरा ही मन जावेगा |

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News & Updates

  • One of the Observatories is situated at the bank of river kshipra.
  • Ujjaini is the Working place of King Vikramaditya.
  • Lord Krishna has studied here.
  • Ujjaini is the Working place of King Vikramaditya.

Importance of Ujjain

In terms of astrology:

गणेशं द्वारिकाधीशं हरसिद्धिं च भैरवम ।
वन्दे कालीं महाकालं, शिप्रामुज्जयिनीं श्रिये ।।

उज्जैयिनी को सभी तीर्थ से तिल भर बढ़ा बताया गया है । आप किसी भी तीर्थ यात्रा पर जा रहे है । उज्जैयिनी से ही सभी तीर्थ यात्रा का प्रारंभ बताया गया है । यहाँ किये गए अथवा कराये गये पूजा , अनुष्ठान , हवन , यज्ञ जाप इत्यादि का परिणाम शीघ्र एवं श्रेष्ठ मिलता है ।

तन्त्र शब्द के अनेक अर्थ हैं , उन्हीं में एक अर्थ आता है ''शिव - शक्ति की पूजा का विधान करने वाला शास्त्र''। अत: इसी अर्थ को लक्ष्य में रखते हुए भगवान महाकाल की पूजा के विधान को तन्त्र कहा जाता है । वैसे तन्त्र का ही पर्यायवाची शब्द आगम है । जिसका अर्थ आ-ग-म'' इन तीन वर्णों के आधार पर शवि के मुख से आना , गिरिजा - पार्वती के मुख में पहुँचना और वासुदेव -विष्णु के द्वारा अनुमोदित होना प्रतिपादित है । इस प्रकार तन्त्रों के प्रथम तन्त्रों के प्रथम प्रवक्ता भगवान शिव -महाकाल ही हैं ।

उज्जयिनी में साधना करने वाले साधकों में शैव , शाक्त , गाणपत्य , वैष्णव और सौर '' - तथा इन्हीं से सम्बदध भैरव , योगिनी आदि सभी प्रकार के देवी -देवताओं के साधक प्राचीन काल से रहे हैं । जिसके प्रमाण हमें यहाँ के प्रमुख देवस्थान एवं आसितक - समुदाय की प्रवृतित से प्राप्त होते हैं ।
1. शैव - साधना
2. भैरव - साधना
3. शक्ति - साधना :

शक्ति की उपासना तंत्र - शास्त्रों में प्रधानता को प्राप्त है । प्रत्येक साधक अपने इष्टदेव की शक्ति - सामथ्र्य को ही लक्ष्य में रखकर उनकी साधना में प्रवृत्त होता है । शडकराचार्य ने सौन्दर्य - लहरी के प्रथम पध में यह स्पष्ट ही कह दिया है कि शक्ति के बिना शिव भी शव ही हैं । जो साधक केवल शाक्तमंत्र का जप करता है और शैवमंत्र का सहयोजन नहीं करता हैं , उसे वह मंत्र पर्याप्त जप के पष्चात भी सिद्धिप्रद नहीं होता ।

महाकाल - शिव की उपासना के साथ ही भगवती हरसिद्धि की उपासना अवष्य करना चाहिये । शक्ति साधना के प्रमुख स्थल - हरसिद्धि - देवी गढ़कालिका नगरकोट की रानी चामुण्डा माता भूखी माता 64 योगिनी ।

उज्जयिनी में सिहस्थ ( कुभं ) - उज्जयिनी में :- सिंह राशि के गुरू में मेष का सूर्य आने पर उज्जयिनी में कुम्भ -( सिंहस्थ) - पर्व मनाया जाता है। उज्जयिनी का कुम्भ - पर्व सिंह के गुरू में होने से सिंहस्थ के नाम से ही प्रसिद्ध है।

उज्जयिनी में पूर्ण -कुम्भ :- सिंह - राशि से सप्तमराशी कुम्भराशी के कुम्भ में मेषराशि का सूर्य हो तब वैशाख मास में यह योग बनता है। इसी प्रसंग में यहाँ जो मेला लगता है, जन - समूह एकत्र होता है उसका प्रमुख उद्देश्य होता है - इस पर्वकाल में स्नान , दान आदि । विष्णुपुराण में कहा गया है कि - ।। सहरत्रं कार्तिके स्नानं माघे स्नानं शतानि च , वैशाखे नर्मदा कोटि: कुम्भस्नानेन तत्फलम ।।

(कार्तिक में हजार बार स्नान करने से , माघ में सैकडों बार स्नान करने से तथा वैशाख में करोड़ बार नर्मदा में स्नान करने से जो फल प्राप्त होता है , वह फल कुम्भ - पर्व में स्नान करने से प्राप्त होता है। )

शिप्रा स्नान का महत्व-
शिप्रा में वैशाखमास में स्नान करने का और स्नानादि करने का माहात्म्य तो है ही , किन्तु पूरे मास तक यहाँ स्नानादि सम्भव न हो , तो मात्र पाँच दिन ही स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और पूरे मास के स्नान का फल भी मिलता है। शिप्रा नदी तीनों लोकों में दुर्लभ है , प्रेत -मोक्षकारी है और सिंहस्थ स्नान -कर्ताओं के मनोवांछित को पूर्ण करने वाली है। विभिन्न ऋषियों के पूछने पर नारदजी ने भी सिंहस्थपर्व की महिमा विस्तार से बतलार्इ है।

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ख्वाब पूरा हुआ

श्री विजय नीमा सियागंज में चाय की दलाली का कार्य करते थे । इतना कमाते थे कि अपनी आजिविका आराम से चला रहे थे लेकिन इनके उपर दो छोटे भाइ एक बहन और माता - पिता की जिम्मेदारीयाँ भी थी । इस वज़ह से उन्हें हमेशा पैसो की कमी बनी रहती थी । वह हमेषा बड़ा आदमी बनने का ख्वाब रखते थे । लेकिन पारिवारीक जिम्मेदारीयों की वज़ह से वे सफल नहीं हो पा रहे थे । उनके एक रिश्तेदार जिनकी बेटी का विवाह भगवती कृपा से हमारे यहाँ से तय समय पर हुआ उनकी

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और जन्मपत्रिका गायब हो गइ

श्री गिरीश वैध और उनकी पत्नी रीना काफी समय से अपने परिवार वालों से परेशान थे । जिस मकान में वह रहते थे , वह पेतृक मकान था । परिवार वाले हमेशा रीना और उनके बच्चों को प्रताडित करते रहते थे , और किसी भी तरह से उन्हें घर से निकालना चाहते थे। गिरीश जी अपने काम की वज़ह से बाहर रहते थे । उनके परिवार वाले किसी तांत्रीक के सम्पर्क में थे । गिरीश अपनी पत्नी व बच्चों के लिए काफी चितिंत थे हर समय अनहोनी का डर लगा रहता था । हद तो उस वक्त हो गइ

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और वे कर्ज मुक्त हुए

उज्जैन निवासी श्री माहेश्वरी दंपत्ती हमारे पास आये। व्यवसाय में अपूर्ण घाटा उठाने से दोनो बहुत हताश हो गए थे । उन्होनें हमें बताया कि हम मृत्यु तुल्य कष्ट उठा रहे है । उनकी पत्रिका के अवलोकन से हमें ज्ञात हुआ कि इनका समय वास्तव में कठिनतम दौर से गुजर रहा है । हमने उनके लिए विशिष्ठ अनुष्ठान किए जिससे वह करोड़ो के कर्ज से मुक्त हुए एवं बंधक बंगले को छुड़ाने में भी सफल हुए ।

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तनाव मुक्त हुर्इ छात्रा

सुश्री श्वेता सेंगर III year की छात्रा हमारे पास आयी थी । उस समय वह बहुत डिप्रेशन में थी । हमने उन्हें श्वेत पुखराज और पन्ना धारण करने की सलाह दी एवं एक विशिष्ठ यंत्र अपने कक्ष मेंं रखने को कहा , कुछ दिनों पश्चात केम्पस सिलेक्शन में उनका चयन T.C.S. कम्पनी में हो गया और शिक्षा पूर्ण कर उन्हें हैदराबाद सिथत एक प्रतिषिठत कम्पनी में उन्हें Job मिल गइ और उनका विवाह एक योग्य जीवन साथी के साथ हो गया और वह सुखपूर्वक जीवन जीवनयापन कर रही है ।

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